रोहिंग्या मुस्लमान मुद्दा - Rohingya Musalman Case In Hindi •

रोहिंग्या मुस्लमान मुद्दा - Rohingya Musalman Case In Hindi •

रोहिंग्या मुस्लमान मुद्दा - Rohingya Musalman Case In Hindi •



आज कल हमे अखबारों में टी वी पर न्यूज़ पर काफी कुछ रोहिंग्या मुस्लमान के बारे में सुनने को मिलता है। आपके मन में भी कई प्रशन होंगे की ये मुद्दा आखिर है क्या तो मित्रो आज हम आपको रोहिंग्या मुसलमानो के बारे में सारी जानकारियां देंगे।

रोहिंग्या मुस्लमान कोन है?

ये लोग  म्यांमार देश के रखाइन स्टेट के रहने वाले मुस्लिम लोग है। इनकी खुद की अलग भाषा और संस्कृति है । इनकी आबादी वहां 10 लाख से  ज्यादा है। म्यांमार में इनकी अल्पसंख्या है। रोहिंग्या मुसलमानो को दुनिया की सबसे कम चाहने वाली आबादी(worlds least wanted population) और दुनिया की सबसे सताई हुई आबादी (worlds most persecuted minorities) माना गया है। किसी और देश तो छोड़ो खुद म्यांमार के लोग इन्हें अपना नहीं मानते व रोहिंग्या मुसलमानो को वहां की नागरिकता भी नहीं है। 
ये लोग काफी गरीब लोग होते है । शायद इसलिए भी क्योंकि इन्हें किसी का सहारा नहीं है वहां  की सरकार इनको नज़रंदाज़ करती है । कुछ रोहिंग्या अन्य धर्मों को भी मानते है। रोहंगिया मुसलमानो को नोकरिया तो छोड़ो इनके बच्चो को शिक्षा भी नहीं दी जाती। ये लोग छोटे मोटे काम करके अपना जीवनयापन कर रहे है। काफी सारे रोहिंग्या मुसलमानो की तो ज़मीन भी नही है घर छत भी नहीं है। ये लोग 1 स्थान से दूसरे इस्थान घूम घूम कर काम करते व रहते है।

म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानो की इस्थिति।

म्यांमार 1 दक्षिण पूर्वी एशियाई देश है जिसकी राजधानी नेपैडर है इसकी सीमाएं 5 पडोसी देशो से लगी हुई है । बांग्लादेश, भारत, चीन, थाईलैंड, लाओस इन देशों की सीमा म्यांमार को छूती है। म्यांमार में चीन का ज्यादा प्रभाव है।म्यांमार में बुद्ध धर्म को मानने वाले ज्यादा लोग है। म्यांमार में बहुसंख्यको जैसे थेरावदा और बुद्ध लोगो को ही वहां की सरकार ज्यादा पसंद करती है। रोहिंग्या मुसलमानो को वहां की नागरिकता भी नहीं है । और उन्हें बुरा माना जाता है। म्यांमार में कोई और जाती समुदाय रोहिंग्यो के साथ नहीं रहना चाहता।
म्यांमार  के  संविधान में सिटीजन एक्ट 1982 के मुताबिक रोहिंग्यो को म्यांमार का नहीं माना जाता। व नागरिकता नहीं दी जाती । ऐसे में रोहिंग्या मुस्लमान राज्य रहित हुए। और म्यांमार में ही शरणार्थी बनकर है। म्यांमार में इनको कोई लीगल प्रोटेक्शन नहीं है। रोहिंग्यो के फंडामेंटल लीगल राइट्स वायलेट होते रहते है। रोहिंग्या मुसलमानो को म्यांमार की सरकार और जनता बांग्लादेश से आये बंगाली मुस्लमान मानती है । जो की बांग्लादेश से आये है। 
म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानो और बौद्ध धर्म को मानने वालों के बीच तनाव बना रहता है।  वहां रोहिंग्या मुसलमानो का विरोध होता रहता है। अभी ज्यादातर रोहिंग्या मुस्लिम्स को रखाइन के इलाको में राहत शिविरों में रह रहे है। पर रोहिंग्या मुसलमानो की इस्थिति बहोत बत्तर हालात में है और उन्हें जिन्दा रहने  के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।

म्यांमार में हिंसा का कारण ।

म्यांमार में अभी जो तनाव पूर्ण इस्थिति है वो पहले भी कभी ठीक नहीं रही। इसका मुख्य कारण हिंसा है । दोबारा हुई हिंसा का मुख्य कारण है ।
25 अगस्त 2017 को करीब 150 हथियार बंद रोहिंग्या मुसलमानो  ने  रखाइन में आर्मी के केम्पस और चौकीओ पर हमला कर दिया । ये हमला अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (arakan rohingya salvation army) नामक 1 आतंकवादी समूह ने किआ था । जिसके सरगना का नाम अता उल्ला है ये पाकिस्तान में पैदा हुआ और मक्का में पला बढ़ा । इसके बाद म्यांमार की आर्मी ने आतंकियों और रोहिंग्यो पर बदला लेने के लिए हमला किया । तो वहां पर रोहिंग्यो और म्यांमार की सेना के बीच तनाव बढ़ गया । दंगे भी हुए । ये आतंकवादी समूह रोहिंग्या मुसलमानो का है इस वजह से भी कोई रोहिंग्यो को रहने नहीं देना चाहता।
1 ख़ुफ़िया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्यो को आतंक की ट्रेनिंग देता है और उन्हें हथियार मुहैया कराता है । इनका कम पढ़ा लिखा होना और कम कमा पाना ,गरीब होना इन्हें  आसानी से आतंकवादी बनने के लिए बरगला सकता है। ये 1 बहोत ही खतरनाक इस्थिति है।

रोहिंग्या मुस्लमान 1 अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा ।

आज की म्यांमार की इस्थिति और रोहिंग्या मुस्लिम का दूसरे देशों में शरण लेना इसे 1 अंतर्राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बना देता है। रोहिंग्या लोग दुनिया के दूसरे देशो,हिस्सों में शरण लेने के लिए मजबूर है। हिंसा में कोई नहीं रहना चाहता। लाखो रोहिंग्या मुस्लमान म्यांमार छोड़ कर दूसरे देशों में शरण लिए हुए है। ये लोग बॉर्डर पर करके या समंदर के रास्ते से म्यांमार की सीमाओं को लांघकर दूसरे देशों में सरणार्थी बनकर रहने लगे है। इनकी संख्या लाखो में है। और बढ़ती ही चली जा रही है। यह चिंता का विषय है ।हर उस देश के लिए जहा ये रोहिंग्या मुस्लमान शरण ले रहे है। ज्यादातर शरणार्थी बांग्लादेश, इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेसिया में शरण लिए हुए है।
यूनाइटेड नेशन्स का रवैया रोहिंग्या मुसलमानो के प्रति नर्म है व यु एन सेक्रेट्री जनरल कोफी अन्नान ने म्यांमार को रोहिंग्यो को हिंसा से बचाने व रहने के लिए उपयुक्त माहौल, जगह, मदद देने के सलाह म्यांमार को जारी कर चुका है।

मित्रो अब जानते है अन्य देशों का हाल इस मुद्दे को लेकर।

दुनिया का कोई भी देश इन्हें स्वीकार नहीं कर रहा यहां तक की कोई इस्लामिक देश भी नहीं। बांग्लादेश ने बॉर्डर पर पेट्रोलिंग कड़ी करि है और म्यांमार कहा गया है कि अपने लोगो को वापिस ले ।जो रोहिंग्या शरणार्थी ऑस्ट्रेलिया जाते थे इंडोनेसिया के रास्ते उन्हें अपने देश में ऑस्ट्रेलिया ने रखने से मना किआ साथ ही उन्हें कोई सेटलमेंट नहीं प्रोवाइड कराया। विश्व में आतंकवाद 1 बहुत बड़ी समस्या है । रोहिंग्या मुसलमानो को आसानी से आतंकवाद की ओर बरगलाया जा सकता है। और इसी के कारण कोई भी इन्हें न शरण देने चाहता है । न तो इनकी मदद करना बस सब इस मुद्दे से दूर भागना चाहते है।

भारत के विचार रोहिंगया मुसलमानों को लेके।

भारत सरकार का रुख साफ़ है । कि रोहिंग्या मुसलमानो के लिए भारत में कोई भी जगह नहीं है।  ऐसा इस कारण क्योंकि भारत में 40000 से भी अधिक रोहिंग्या मुस्लमान आके बस चुके है। ये भारत के अलग अलग हिस्सो में फैले हुए है जैसे हैदराबाद, जम्मू कश्मीर, हरयाणा, वेस्ट बंगाल,  दक्षिणी भारत और तो और दिल्ली में भी इनकी काफी संख्या है। और  ये संख्या बढ़ती ही चली जा रही है। ये लोग बांग्लादेश के रास्ते भारत में अवैध तरीके से घुस जाते है ।और यहाँ सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा करके रहने लगते है।जो की काफी चिंता का विषय है। जिनमे से अधिकांश रोहिंग्या मुसलमानो के पास यु इन द्वारा जारी किया शरणार्थी कार्ड (refugee card) है।  मगर भारत इस कार्ड को नहीं मानता। भारत सरकार का कहना है कि दुनिया के कई देश आतंकवाद से जूझ रहे है । उनमें से 1 भारत भी है । रोहिंग्या मुस्लमान यहाँ आके बास्ते चले जा रहे है। और तो और इनके आतंकवाद में शामिल होना भारत के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। रोहिंग्या मुसलमानो के कश्मीर में पत्थर बाज़ी करने और हैदराबाद में भारत विरोधी नारे लगाये जाने, भारत का विरोध, अवैध धंदो में शामिल होने के भारतीय खुफिया एजेंसियो और मीडिया तक को खबर है। ये सुरक्षा की दृष्टि से बिगड़ते हालात है।
भारत सरकार की ओर से केंद्रीया राज्य रक्षा मंत्री किरेन रिजिजू जी ने बड़ा बयां दिया है कि ये रोहिंग्या मुस्लमान अवैध शरणार्थी है जो अवैध तरीको से भारत आये है। अब इन्हें सरकार वापस डिपोर्ट करेगी। भारत की सुरक्षा से कोई भी कोम्प्रोमाईज़ नहीं किया जायेगा।  भारत पहले ही कई समस्याओं से जूझ रहा है और इन बिन बुलाए मेहमानो की मेहमाननवाज़ी नहीं कर सकता। 

पर मित्रो हैरानी की बात यह है कि भारत में रह रहे 2 रोहिंग्या मुसलमानो मोहम्मद सलीमउल्लाह और मोहम्मद शाकिब ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल की है। जो भारत सरकार के फैसले को चुनोती देती है और रोहिंग्या मुसलमानो को भारत से ना निकालने के बारे में है। म्यांमार में हो रही हिंसा को देखते हुए याचिकाकर्ता का कहना है कि रोहिंगया मुसलमानो को अभी वह ना भेजा जाए ये यु इन के नियमो का उल्लंघन है। भारत का संविधान सबको जीने का अधिकार प्रदान करता है। इसी तर्क को याचिका में कहा गया है। 11 सितंबर को उच्चतम न्यायलय में सुनवाई होगी। भारत के शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमानो का केस अधिवक्ता प्रशांत भूषण लड़ रहे है। ये सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा वाली पीठ की अगुवाई में हुई । भारत अपनी ही तकलीफों से लड़ रहा है । ऐसे में दुसरे देशो के शरणार्थियों को पालना मुसीबत मोल लेना है। आशा है कि उच्चतम न्यायालय देश हित में ही निर्णय सुनाये।

जय हिंद



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